Saturday, 22 October 2011
इक नदी हूँ मैं
कभी उथला किनारा
बन जाती हूँ - मैं
तो कभी खुद ही में
गहरी हो जाती हूँ - मैं
कभी बाढ़ बन
उफ़न उफ़न आती हूँ - मैं
तो कभी भंवर बन
खुद ही में समाती हूँ - मैं
इक नदी हूँ - मैं
जिसकी धारा हो तुम
इक नदी हूँ - मैं
जिसका किनारा हो तुम
क्या अपनी बाहों में लोगे मुझे .. ?
क्या अपना - आप दोगे मुझे .. ?
गुंजन
१५/९/११
Tuesday, 4 October 2011
कुछ तो है मेरा .... बस मेरा
अपनी धुन
अपना साज़
अपना अंदाज़
यही ज़िन्दगी है मेरी
तू नहीं तो तेरी
बेरुखी ही सही
कोई तो है - मेरी
..... बस मेरी
गुन्जन
३०/९/११
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