Monday 12 September 2011

एक खुबसूरत पर...... उदास-सी शाम


शाम का धुन्दल्का रसोई से निकलते धुऐं में कुछ और गहराने लगा था । सड़क पर खेलते बच्चे अपनी माओं के पुकारने पर बेमन-से घरों को वापस जाने लगे थे । रसोई की खिड़की पर खड़ी लड़की की आंखें....घडी के काँटों सी किसी को तेज़ी से तलाशने लगीं ।

तभी माँ ने आवाज़ दी - टमाटर घिस दिया क्या ? लड़की ने घबरा के कहा - हाँ माँ बस हो ही गया टमाटर के साथ - साथ उसने अपना हाथ भी घिस लिया था.....नज़र खिड़की पर जो टिकी थी । माँ से नज़र बचा के.....सड़क से गुजरने वाले हर राहगीर को वो उचक कर देखती । कोने में खड़ी पान की गुमटी पर आने वाले हर शख्स में....वो 'उसको' खोजती ।

माँ ने फिर आवाज़ लगायी - सब्जी छौंक दी क्या ? लड़की ने फिर कहा- हाँ माँ । कसे हुए टमाटर को गर्म तेल की कढ़ाई में डालते हुए....उसने अपनी कुछ खून की बूंदें भी उसमें मिला दी थीं । हाथ कुछ ज्यादा ही घिस गया था । पट-पट की आवाज़ के साथ टमाटर कढ़ाई में भूनने लगा और साथ-ही-साथ उसका खून भी टमाटर के मसाले में एक-रस होने लगा । पर लड़की का सारा ध्यान कोने में सजी उस पान की गुमटी पर ही था । कुरते-पज़ामे में गुज़रते हर शख्स में वो 'उसको' खोजती ।

अचानक पान की उस छोटी सी गुमटी पर उसे इक सफ़ेद सा साया नज़र आया.....आह! लड़की के अंदर से इक आवाज़ आई.... और आंखें ख़ुशी के कारण कुछ और भर-सी आयीं । सफ़ेद कुरते-पज़ामे ने दुकानदार से इक cigratte मांगी....और माचिस भी....सुलगा के अपने होठों से लगा ली । सफ़ेद कुरते-पज़ामे में सजा वो देव-सरीखा मानुष...अचानक ही....उस cigratte के तम्बाकू के साथ-साथ...उसकी आत्मा को भी जलाने लगा ।

ऊँगली से टपकने वाले खून के साथ-साथ....लड़की की आँखों से टपकने वाला दर्द भी उस टमाटर के मसाले में घुलने लगे । तभी माँ ने फिर आवाज़ दी -सब्जी बन गयी क्या ? आंसू पोंछती लड़की ने धीमे से कहा -हाँ माँ । बस बन ही गयी ।

ऊँगली का दर्द अब बेमानी हो चला था.....सीने में उठते उस सोंधे - सोंधे से, बेतरतीब दर्द के आगे ।
उसने अपने आप से पूछा - क्यूँ ? आखिर क्यूँ होता है ...प्यार ऐसा ?

गुंजन
20/4/2011

3 comments:

  1. कितना दर्द भर दिया है आपने इस प्रस्तुति में.
    मार्मिक प्रस्तुति के लिए आभार.

    मेरे ब्लॉग पर भी आईयेगा
    गुंजन जी.

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  2. pehli baar aapke blog per ayi hoon ,.........sabse acchi baat jo pata chali aap hamari padosi hai hum pilibhit se hai ,,,, ek bly ki gunjan hamare sath it college lko mein thi maine aapka pic dekha per shayad nahi ...........
    aapki rachna acchi lagi mera blog bhi dekhe

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